{ખોવાયો છે}
ખોવાયો છે આજ, ચાંદો મારો,
જેનાથી ઉજળો, નથી કોઈ તારો|
જેની જ્યોત્સનાની નીચે બેસી,
શીતળ થતો જીવ મારો,
એની રાહમાં, અસ્થિર થયો છે પારો|
ખોવાયો છે એ ચાંદો મારો..!
(・_・)-
•Uncharacteristically Uncanny•
मेरा अक्स!
कौन था वो अजनबी शख्स,
जीसका पीछा करे मेरा अक्स!
खामोशी मे डूबा था वक्त,
फिर भी मदहोश था माहौल समस्त।।
था मैं अपनी ही धुनमे मलंग,
लेकिन जब जाना उसे, रह गया मैं तो दंग।
है यह नज़्म उसपे क़ुर्बां;
भले ही क्यों न ले, वो सहस्र इम्तिहान।।
जब भी देखा है उसे,
न जाने क्यों हर बार
हुआ है मेरा जीया बेकरार।।
भलीभांति ज्ञात थी उसे अपनी हकीकत;
जीससे नहीं थी उसे तनिक भी शिकायत।
यकीनन हैं यह खूबसूरत एहसास;
तु है मेरा, समजले यह, ए मेरे खास।।
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शेर-ए-ताज
#६
करने को उनका दीदार
बैठा है मेरा मन कब से बेकरार।
होने को उनसे रुबरु
रची है प्रक्रुति ने यह साजिश।
जब हो दोंनो की ख्वाहिश हुबहु
तब होती हैं सार्थक हर कोशीश।
जाने ना कब होगी अगली बार उनसे मुलाकात
बना लेना हर ऐक पल, ऐ मेरे मन, बीना कोई शिकायत ।
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शेर-ए-ताज
#५
कैसा है यह अनोखा एहसास
जिसे कर ना पाएे बयान कोई अल्फाझ।
सिर्फ तेरा है जिक्र मेरे लब पे
दिवाना हूँ में तेरा, न जाने कब से।
जब से आई है तु, मेरे दिल-ए-देहलीज में
रहना चाहे मन मेरे, तेरी मेहफील में।
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'MISSED A HEARTBEAT I'
A first-timer at the long form of the tale and tried to ink my life in words..
Though it is indeed incomplete, but it was a worth a try.-
शेर-ए-ताज
#४
!ऐ चाँद, है तुझसे मुझे शिकायत¡
रात होते ही, संग तेरे,
ले आता है तु, यादों के पीटारे मेरे।
लाती है स्निग्ध कौमुदी तेरी,
नशा-ए-हीर की स्मृति मेरी।
मधरात्री के वे पल,
जो बीतते थे, जैसे नदी में जल,
बैठ तेरी घटा के नीचे,
जो हमने थे सींचे...!
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नीले गगन में अगन गोला पीला,
जीसने मुझे किया पसीने से गीला,
पीघल रहीं हैं चट्टाने व शीला,
अंत में श्याम रंग हैं मुझे वापस मीला..।-