Herpreet Singh   (Herpreet Singh)
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Joined 14 June 2019


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18 HOURS AGO

गर करूं ज़िक्र-ए-आलम तो तू ही तू नजर आए,
सारा जहाँ नहीं, मेरा हर आलम तुझसे ही है।।

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29 JUL AT 22:18

"रहूं उम्र भर मैं वाबस्ता तुझसे,
अब दिल में कोई आरज़ू बाकी नहीं।

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29 JUL AT 22:17

तुझसे ही वाबस्ता है अब मेरी हर सांस,
तेरे सिवा कोई तमन्ना बाकी नहीं।

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28 JUL AT 18:17

धूप की लकीरें छांव के सवाल

पोस्ट कैप्शन में पढ़ें

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28 JUL AT 9:10

तेरी खुशबू में जो बात है,
कहनी वही बस आज है।
लबों पे रुके हैं जज़्बात सब,
दिल पर तेरा ही राज़ है।

तेरे बिना सब सूना लगे,
हर एक घड़ी जैसे साज़ है।
तेरे ख्यालों में जी रहे,
ये इश्क़ ही मेरी आवाज़ है।

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20 JUL AT 19:01

बस ये झलकना की तुम अब भी मेरे हो
मेरे जीने के लिए काफ़ी है।।

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15 JUL AT 18:36

"हम अब भी तेरी मोहब्बत के तलबगार हैं,
तेरे बग़ैर कोई मंज़र दिल को रास नहीं आता।

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10 JUL AT 18:46


अब भी तिरी मोहब्बत की इक क़सम को तरस रहीं,
छूटी हुई उस अधूरी सी क़लम को तरस रहीं।

कुछ बूंदें भी बरस रहीं, पर धरती को तरस रही,
मैं भी हूँ उस नमी में लेकिन, हम होने को तरस रहीं।

तेरी तरफ़ जो जुल्फ़ उड़ती थी, वो हवा है चुप,
वो रंग, वो घटाएँ, अब तो दम को तरस रहीं।

तू रूठ कर गया तो जैसे वक्त ही ठहर गया,
अब हर घड़ी तेरे दिए उस ग़म को तरस रहीं।

ना संदेश, ना कोई ख़बर, ना कोई नाम तेरा,
तेरी तरफ़ से एक झूठे भरम को तरस रहीं।

रखे थे तूने जो मेरे पास चंद नग़्मे-ए-ग़म,
वो धड़कनें भी अब इक सरगम को तरस रहीं।

बुझते नहीं हैं दिल के जो जज़्बात तुझ बिन ‘प्रीत’,
ये रूह अब भी तेरे दिए हर दम को तरस रहीं।


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7 JUL AT 20:09

गर तस्दीक मेरी वफ़ा की करोगे,
तो हवाएँ भी मेरी गवाही देंगी।।

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5 JUL AT 21:06

दो तरह के लोग

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