इल्म हो ज़ेवर, अदब हो सफ़र,
गुरुर से रौशन नहीं होता असर।
मोहब्बतों से ही मिलती है रौशनी,
कड़क सलीकों से बुझ जाता है शजर।
ख़ुदा के जलवे हैं दिल की निगाह में,
नज़र में तकब्बुर तो ठहरता है सहर।
सफ़र मोहब्बत का सच्चा वही,
जो बाँट दे सबको अपनी नज़र।
ख़ुदा की क़ुदरत से है ये जहाँ,
नहीं किसी तख़्त से कायम हुनर।
हयात का मक़सद है ख़िदमत यहाँ,
नफ़्स से होता है बस बेअसर।
"प्रीत" इबादत है इश्क़ का नाम ही,
यही है मंज़िल, यही है सफ़र।
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Herpreet Singh
(Herpreet Singh)
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Only wants to share my feelings with the persons they are emotional and writer by heart .
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Joined 14 June 2019
12 HOURS AGO
12 SEP AT 22:30
मैं लिखती हूं सिर्फ़ तुम्हारे लिए,
मैं कहती हूं सिर्फ़ तुम्हारे लिए।
कोरा काग़ज़ बना है गवाह मेरा,
मैं बहती हूं सिर्फ़ तुम्हारे लिए।
हर तहरीर में है तेरा ही नूर,
मैं सजती हूं सिर्फ़ तुम्हारे लिए।
तेरे होने से है मेरी पहचान,
मैं रहती हूं सिर्फ़ तुम्हारे लिए।
"प्रीत"तेरे नाम से है रौशन जहाँ,
मैं जीती हूं सिर्फ़ तुम्हारे लिए।
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9 SEP AT 20:22
मुमकिन है कि अब मुलाक़ात न हो,
पर मुमकिन नहीं कि दिल से दिल की बात न हो।-