Herpreet Singh   (Herpreet Singh)
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Joined 14 June 2019


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12 HOURS AGO


इल्म हो ज़ेवर, अदब हो सफ़र,
 गुरुर से रौशन नहीं होता असर।
मोहब्बतों से ही मिलती है रौशनी,
कड़क सलीकों से बुझ जाता है शजर।
ख़ुदा के जलवे हैं दिल की निगाह में,
 नज़र में तकब्बुर तो ठहरता है सहर।
 सफ़र मोहब्बत का सच्चा वही,
 जो बाँट दे सबको अपनी नज़र।
ख़ुदा की क़ुदरत से है ये जहाँ,
नहीं किसी तख़्त से कायम हुनर।
हयात का मक़सद है ख़िदमत यहाँ,
नफ़्स से होता है बस बेअसर।
 "प्रीत" इबादत है इश्क़ का नाम ही,
यही है मंज़िल, यही है सफ़र।





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14 HOURS AGO

इल्म हासिल करो पर गुरुर नहीं
इस दुनिया में रहो मगरुर नहीं।।

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14 HOURS AGO

कुछ लम्हे जो बीत जाते हैं
वो अक्सर याद आते हैं।।

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27 SEP AT 13:15

मशरूम की तरह उगे हुए लोग

पोस्ट कैप्शन में पढ़ें

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27 SEP AT 6:28

जब फ़ुर्सत मिली तो तुम्हें फ़िर पढूंगी
पर क्या फ़ुर्सत मिलती है कभी?

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21 SEP AT 13:55

कुछ पल

पोस्ट कैप्शन में पढ़ें

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21 SEP AT 13:41

कुछ पल जो पीछे छूट गए
कई वादे वहीं टूट गए।

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12 SEP AT 22:30

मैं लिखती हूं सिर्फ़ तुम्हारे लिए,
मैं कहती हूं सिर्फ़ तुम्हारे लिए।

कोरा काग़ज़ बना है गवाह मेरा,
मैं बहती हूं सिर्फ़ तुम्हारे लिए।

हर तहरीर में है तेरा ही नूर,
मैं सजती हूं सिर्फ़ तुम्हारे लिए।

तेरे होने से है मेरी पहचान,
मैं रहती हूं सिर्फ़ तुम्हारे लिए।

"प्रीत"तेरे नाम से है रौशन जहाँ,
मैं जीती हूं सिर्फ़ तुम्हारे लिए।

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9 SEP AT 20:22

मुमकिन है कि अब मुलाक़ात न हो,
पर मुमकिन नहीं कि दिल से दिल की बात न हो।

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9 SEP AT 18:09

सैलाब

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