इस दिल मे कोई भी मलाल न रहता
फ़िर ये ज़िंदगी हमेशा सुखमय होती
खुशियों का कहीँ भी अकाल न होता
वो जो अपने ही थे जब अपने न रहे
और बस ये रातें ही रह गई तन्हा सी
इनमें उमंगों के अब कोई सपने न रहे
शायद यही तो होता है इस आलम में
जो कोई बेहद करीब हो इस दिल के
और वो ही निकल जाए कहीं दूर तो
और ये दिल जीने को हो मज़बूर तो
अपनों के खोने का ग़म ही रहता है
हँसीं बाहर लेकिन दिल नम ही रहता है-
हर ज़िस्म में छुपी एक कहानी है
वो जिसने इसे समझ लिया है
वो ही एक शख़्सियत रूहानी है
और जो भी रिश्ते है इस जहाँ में
रूह से तो कम है सिर्फ़ जिस्मानी है-
रात को आने से पहले उसे दिन ने खुशियों का सुहाना पैग़ाम भेजा है
एक एक शब्द में लिखी है सुख की कहानी फ़िर सुबह का प्रणाम भेजा है-
ये सारा जहाँ लेकिन इसे दोजफ़ बना रहे है लोग
सुकून और चैन छीनकर इसका मुस्कुरा रहे है लोग-
सबको दुनियाँ सुना रही होगी
लेकिन वो किसी की याद में
अपने अश्क़ बहा रही होगी
लेकिन ये अफ़साना है ही ऐसा
जो भी सुने दर्द महसूस करेगा
वो जो शख़्स है अफ़साने में
ख़ुद ब ख़ुद ही सबके ज़हन में
आयेगा एक ऐसा अक़्स बनकर
जैसे अरमान आये रक़्स बनकर
होगा वो दिल की गहराइयों में
और प्यारा एक सुकून सा देगा
एक ताक़त एक जुनून सा देगा
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दूरियों को दूर ही रहने दो
जो तुमसे नज़दीकियाँ हो
प्यार को परवान चढ़ने दो
चाहत के अरमान बढ़ने दो
उम्र मिली है मोहब्बत की
अपने हुस्न को निखरने दो
मेरी तमन्नाओं को समझों
मेरी इस उल्फ़त को समझों
मुझे आज आलिंगन करने दो-
तू फ़िर भी नज़र नही आती
यूँ चिलमानों से झांककर
आंखों से कहती है कुछ राज़
मेरा मन बेबस और मज़बूर
मेरी तमन्नाएं मेरे दिल से दूर
नही हो पाता है अब कोई लिहाज़
बस बदलते जाते है मिज़ाज
सोचता हूँ कि कुछ न कुछ कहूँ
लेकिन ये ज़माना और ये समा
न ये कोई बात रहती लेकिन
आ जाता है आबरू का लिहाज़-
सलीका ही बदल दिया जीने का हमने
जाम भी बदल दिया वो पीने का हमने
वो एक ही तो ख़लिश बाकी रह गई थी
दर्द दबाकर रखा अपने सीने के हमने-