होश हमारे खो गए फ़िर सोहबत में सनम
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न रहबर हूं न शायर हूं न मैं इक दास्तानी हूं
बह... read more
पहले पहल तो मुझको समझ आया कुछ नहीं
या यूं कहूं कि जिंदगी ने समझाया कुछ नहीं
लेने लगी इम्तिहान मेरा हर रोज़ ज़िंदगी,
बताया भी कुछ नहीं सिखाया भी कुछ नहीं-
दुनिया वीरान हो गई है बेहतरीन लोगों से,
कि लोगों का उठने लगा है यक़ीन लोगों से।
इक लड़की ने मुझे कशमकश में क्या डाला,
तंग आ गया हूं मैं अब हसीन लोगों से।
मैने देखा है कल इक लाश को रुक कर के,
वो मांग रही थी मदद तमाशबीन लोगों से।
अपने मतलब से हमको याद करते हैं वो,
सो दूर रहने लगा हूं मैं जहीन लोगों से ।
ख़ुदा भी हंस पड़ा मेरी मासूमियत पे जब,
मैं पूछ बैठा था राहे-यक़ीन लोगों से।
जो हक़ पे डट गया उसे रुसवा किया गया,
जो झुक गया उसे मिली ताज़रीन लोगों से।-
बात किससे करूं सभी बेकार की बात करते हैं
दोस्त थे जो वो भी अब मयार की बात करते हैं
किसी को नहीं दिखती है परेशानियां किसी की,
सब के सब पढ़े हुए अखबार की बात करते हैं
ज़हर घोलते हैं जो हर एक बात में अपनी
वही लोग अब मीठे व्यवहार की बात करते हैं
जिन्हें ख़ुद नहीं ख़बर अपने गुनाहों की कोई
वो भी अब ज़माने के किरदार की बात करते हैं-
मैं इतना भी दिल पज़ीर नहीं
कि प्यादा हूँ , मैं वज़ीर नहीं
दे सकता हूं वफ़ा को क़ीमत
हालांकि मैं पैसों का अमीर नहीं-
पसन्द है जो मुझको, वही हर बार करते हो
हमारे वास्ते तुम ख़ुद का यूं श्रृंगार करते हो
कि झगड़ते हो हमेशा तुम तन्हाई में मेरे यारा,
मगर जब इश्क करते हो सरे बाजार करते हो-
बंद कमरे की खामोशी से डर लगता है
मुझको तो खुदकुशी से डर लगता है
सुनकर के कहानियां रांझा फरहाद की,
सच कहूं तो आशिक़ी से डर लगता है-
मैं तेरे ख़्वाब पिरोता हूं पिरोने दे
ख़्वाब में ही सही तेरा होता हूं होने दे
सपनों में तू मेरा हाथ थामे रखता है,
कि मैं तेरे ही ख़्वाब देखता हूं सोने दे
मेरे आंखों में नमी नहीं हो ख्वाबों में,
हक़ीक़त में मैं अगर रोता हूं रोने दे
दिल का दर्द आंखों के रस्ते निकलेगा
सो मैं आंख भिगोता हूं भिगोने दे-
"जो भी मिला, उसका आभार सौंपा है,
जिसने हमें ये सुंदर संसार सौंपा है।
मिलना-बिछड़ना सब उसकी मर्ज़ी,
हम तो निभा रहे जो किरदार सौंपा है।"-
कि दिल के तार नाज़ुक हैं
आब ओ हवा से हिल जाते हैं
ये मोहब्बत है वो पथ जिसपे
चलके लोग ख़ुदा से मिल जाते हैं-