ये तमाशा फिर सर-ए-बाज़ार होगा, देख लेना
एक दफ़ा फिर तुमको मुझसे प्यार होगा, देख लेना
तेरी गालियों से दूरी महज़ कुछ देर की है जाने जा,
दिल की सल्तनत पर मेरा अधिकार होगा, देख लेना
कभी तो आँधी-ओ-तूफ़ां भी थमेगा राह में
ख़ुशनुमा मौसम का भी इज़हार होगा, देख लेना
जो अभी खोया हुआ सा है मेरे अशआर में
समझ आने पर तेरे चेहरे का दीदार होगा, देख लेना
हीर भी नीलाम होगी बाजार ए इश्क़ में एक दिन
यानी मोहब्बत में भी व्यापार होगा देख लेना
लगाओ दुकान मोहब्बत की और फूल दो हर हाथ में
वर्ना कल सब के हाथ में हथियार होगा देख लेना-
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न रहबर हूं न शायर हूं न मैं इक दास्तानी हूं
बह... read more
बात करने की आदत नहीं है, तो कोई बात नहीं
इश्क़ मुझसे है उसे, और किसी के साथ नहीं
कि ख़फ़ा होके भी मैंने कई दफ़ा देख लिया है
वो मेरा पैर पकड़ लेता है, किसी का हाथ नहीं-
जितना सोचा था,उससे भी अफ़ज़ल निकला
वो मेरे इश्क़ में एकदम ही पागल निकला
सोच-समझकर हमने ही क़दम बढ़ाया था
यार, ये इश्क़ तो आख़िर में दलदल निकला-
राह तकते इन नयन को तुम ज़रा आराम देना,
इन धड़कती धड़कनों को आ कर विश्राम देना।
हक मिले जो मुझको मेरा, फिर मुझे भी चैन आए,
थाम कर अंजुरी हमारी रिश्ते को इक नाम देना।
दूर रह कर भी हमारी याद में बस जाओ तुम,
इस अधूरी सी दुआ को एक नया आयाम देना।
हम वफ़ा की राह में पत्थर भी चुनते चल दिए,
अब तो मंज़िल से गुजरकर तुम हमें पैग़ाम देना।
‘रूद्र’ ने हर मोड़ पर तेरे लिए कुछ खो दिया,
अब तु जो लौटे, तो मेरे होने को पहचान देना।
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कतरा गवां दिया तो समंदर मिला मुझे
सब कुछ तो खुद के ही अंदर मिला मुझे
उसको भुला दिया, खोने का डर नहीं गया
लोगों ने कहा उससे भी बेहतर मिला मुझे
हार गए तो क्या, पोरस ही बन गए
प्रतिद्वंदी भी गोया सिकंदर मिला मुझे
राहों ने खींच ली जब मंज़िल की उंगलियाँ
ठोकर से रास्ता और सुंदर मिला मुझे
तूफ़ान से बराबर की टक्कर रही सदा
हर बार एक नया हुनर मिला मुझे
मैं गिर के उठ सका, ये कम तो नहीं 'रुद्र'
ये सलीका भी ठोकर खा कर मिला मुझे-
किसी पर न एतबार हुआ तेरे एतबार के बाद
यानी कहीं न प्यार मिला तेरे प्यार के बाद
तेरे क़दमों में रख दिया दिल बिना सोचें,
न फिर किसी को देखा हमने तिरे दीदार के बाद।
बहुत सँभाल के रखी थी दिल की दीवार मैंने,
मगर वो ढह ही गई थी तिरे इज़हार के बाद।
तेरी यादों के जंगल में रात कट जाती है,
नींद आती है मुश्किल से, चार साढ़े चार के बाद।
बहुत कुछ टूट गया है दिल के अंदर 'रूद्र',
मगर इक नाम ही बचा है उस इंकार के बाद।-
रस्ता आसान हो सकता है रस्ते पर चल कर देखो
जल्दी मंजिल मिल सकती है रस्ता बदल कर देखो
गैरों की बातों पर यक़ीन करके कोई फैसला न कर,
अफवाहें भी हो सकती हैं न एक दफा मिल कर देखो
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नाम है जैसा वैसी आपकी सूरत है
पर उससे भी प्यारी आपकी सीरत है
अल्फाजों से कागज़ संवार देते हो
आपको रंगों की क्या ही जरूरत है
पढ़ना और पढ़ाना अच्छा लगता है
किताबों से तो आपको मोहब्बत है
कि हमने कुछ अच्छे काम किए होंगे,
क़िस्मत से मिली आपकी सोहबत है
कुछ बातें कहते नहीं छुपाते हो,दिल में
पर बातें अशआर में कहने की आदत है-
सही को सही ग़लत को ग़लत बताने वाले,
कि ऐसे लोगों से दूर रहते हैं ज़माने वाले
ज़रूरत पूरी करते हैं और शोख बताते हैं
जहीन हो ही जाते हैं अक्सर कमाने वाले-