Hemlata Kumari   (हेmlata)
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Joined 25 October 2017


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Joined 25 October 2017
29 NOV 2023 AT 2:46

It wasn't that difficult to meet myself.
But it wasn't that easy peasy too.
The way i met you.

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25 OCT 2023 AT 0:46

हर चीज़ मिल जाए , तो ख़्वाहिश किसकी करोगे ?,
वैसे अधूरापन भी बेहद खूबसूरत है जनाब ।
इसे भी क़बूल की , तो ज़िन्दगी को हर तरह से जीना सीखोगो ।

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5 JUN 2023 AT 2:26

मैं उस ख़ामोशी को आवाज़ लगाती हूँ ,
जो कभी गूंजा करती थी मेरे कानों पर।
इस उम्मीद में कि वह एक दिन फिर से गूंज उठे ,
ख़ामोशी का नक़ाब उतार कर।

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7 MAY 2023 AT 1:36

आपके पास बैठे बस आपकी लहरों को निहारते हैं ,
और वह लहरें बस हमें बार-बार छूकर चले जाते हैं ।
एक बार मुझे अपने साथ तो ले चले ,
इनको यकीन नहीं हमारे जज़्बातों पे ,
कोई इनको यह तो बताए कि
हम तो बस आप में डूब जाने कि ख़्वाहिश रखते हैं ।

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6 MAY 2023 AT 4:53

उन्होेंने सुकून की तलाश में ,
हर रूह को आजमाई होगी ।
पर जिस रूह ने अपना सुकून क़ुर्बान किया ,
उस तलाश को पूर्ण विराम समझ कर ,
पर उसी रूह को उन्होेंने क़ुर्बान किया ।
अपने जीवन का अधूरा किस्सा समझ कर ।
जब ज़रूरत थी तब मिली नहीं ,
और जब मिली तो ,
तब बोला गया कि ,
काश हमारी मुलाकात पहले हुई होती ,
तो शायद ये दूरी न हुई होती ।
अब उन्हें न सुकून की तलाश है,
और न चाहिए रूह का साथ।
ख़ुद की किस्मत को क़ुर्बान किया ,
समाज के नज़रिए को अपनी किस्मत मान कर ।
पर कोई उस रूह को भी पूछे,
कि बिन सुकून के उसका क्या हाल है ?
समाज के सामने वह मुस्कुराती तो है ,
आँखों में कचड़ा चला गया यह कह कर ।

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22 APR 2023 AT 1:10

कब तक भागोगे सच्चाई से ,
जब की सच्चाई वहीं पर टिकी रहेगी ।
समय आने पर भले तुम्हारा शरीर मर जाए ,
पर जो सच है वह हमेशा ज़िन्दा रहेगी ।

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28 MAR 2023 AT 21:27

लोग अलग ,
समझ अलग ,
जितनी बढ़ती समझ,
सच कहूं तो
उतनी ही बढ़ती उलझन।
कभी-कभार लगता ,
इस से अच्छा तो मैं मुर्ख ही सही ,
लोग बेइज्जत करते पागल कह कर,
फिर भी स्वीकार करता मैं ख़ुशी - ख़ुशी ।

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28 MAR 2023 AT 1:15

हर काम आसान होता ,
जब कोशिशें , जी जान से होता ।

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25 MAR 2023 AT 16:45

दर्पन खरीद कर रख तो लिए,
फिर भी अपनी सूरत पानी में देखते हो ।
हमेशा कि तरह उस छलावा में खो कर ,
पानी की गहराई में ख़ुद को पाते हो ।
फिर दोष सूरत को लगाते हो ।
हमेशा कि तरह दर्पन को ठुकराते हो ,
हकीकत से मुख फेर , छलावा को अपनाते हो ।
एक बार रुक तो सही ,
उस दर्पन से ख़ुद को देख तो सही ।
छलावा से भी ज़्यादा खुबसूरत हकीकत दिखेगी ।
अगर टूट कर बिखर भी जाए ,
तो वह उन टूकड़ों में भी तुम्हें, तुम से मिलाएगा ।
तुम्हारे लाख ठुकराने के बावज़ूद भी ,
वह तुम्हें प्रेम से अपनाएगा ।

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10 MAR 2023 AT 11:30

मन में कुछ और , ज़ुबान पे कुछ और
बस इसी खेल में शामिल हैं ।
मैं और वो ।

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