Hemendra Singh   (Hemendra Singh)
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Joined 29 September 2018


Joined 29 September 2018
15 SEP 2022 AT 2:23

मैं न जाने क्यों उताबला न होकर प्रतीक्षा में रहा
कभी धूप में छाँव की प्रतीक्षा,तो कभी बारिश में
मेघ छटने की प्रतीक्षा,तो कभी दोस्तों की प्रतीक्षा
में,तो कभी प्रेम और प्रेमिका की प्रतिक्षा में,
मैं रहा हूँ सदियों से प्रतीक्षा में ही,
हे! ईश्वर अबकी मुझे बनाना तो ऐसे बनाना
कि न रहूँ किसी की भी प्रतीक्षा में या बनाना मुझे
यूँ कि परस्परता की आवश्यकता ही न हो,
हे! मेरे कठोर दुर्दिनों के ईश्वर,तुम इतने कठोर
कैसे हो सकते हो,क्या? मेरी किलसिति आत्मा
की पुकार नहीं सुनाई देती,
हे! दुर्दिनों के ईश्वर तुम अच्छे नहीं हो,
और यह दुनिया भी अच्छी नहीं है,यहाँ के लोग
भी अच्छे नहीं हैं।

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7 MAY 2022 AT 1:40

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6 JAN 2022 AT 0:05


(ये दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या है)

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26 SEP 2020 AT 23:31

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26 SEP 2020 AT 23:30

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22 SEP 2020 AT 20:57

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21 SEP 2020 AT 22:14

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21 SEP 2020 AT 19:48

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20 SEP 2020 AT 21:34

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19 SEP 2020 AT 20:39

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