देखता हूँ जब भी उसेएक नई ग़ज़ल बन जाती है,ना चाहते हुए भी महफ़िल सी सज जाती है । -
देखता हूँ जब भी उसेएक नई ग़ज़ल बन जाती है,ना चाहते हुए भी महफ़िल सी सज जाती है ।
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तूने पढ़ा ना मुझको, तूने समझा ना मुझको,फिर भी ना जाने क्यूँ मैंने बस लिखा तुझको । -
तूने पढ़ा ना मुझको, तूने समझा ना मुझको,फिर भी ना जाने क्यूँ मैंने बस लिखा तुझको ।
किसी ने पूछा,की किसके लिए लिखते हो ?मैंने कहा,लिखने वाले को बदनाम ना कर,मैं अपने नाम से तेरी मोहब्बत को लिखता हूँ । -
किसी ने पूछा,की किसके लिए लिखते हो ?मैंने कहा,लिखने वाले को बदनाम ना कर,मैं अपने नाम से तेरी मोहब्बत को लिखता हूँ ।
ना हलक से मय उतरीना हाथों में जाम था,ये तो बस तेरा ख्याल था,की कलम बहक रही थीतुझे पन्नों पर उकेर रही थी । -
ना हलक से मय उतरीना हाथों में जाम था,ये तो बस तेरा ख्याल था,की कलम बहक रही थीतुझे पन्नों पर उकेर रही थी ।
नए युग की शुरुआत करे हमराम राज की बात करे हम ।प्राण प्रतिष्ठा मर्यादा की,अपने मन में आज करे हम,दे तिलांजलि नफ़रतों कीराम राज की बात करे हमनए युग की शुरुआत करे हम…पूरी कविता अनुशीर्षक में पढ़े 🙏🏻🙏🏻 -
नए युग की शुरुआत करे हमराम राज की बात करे हम ।प्राण प्रतिष्ठा मर्यादा की,अपने मन में आज करे हम,दे तिलांजलि नफ़रतों कीराम राज की बात करे हमनए युग की शुरुआत करे हम…पूरी कविता अनुशीर्षक में पढ़े 🙏🏻🙏🏻
वो टूट जाए तो शहर की सुर्ख़ियाँ बन जाते हैं,हम बिखर भी जाए तोबस बुहार दिये जाते हैं । -
वो टूट जाए तो शहर की सुर्ख़ियाँ बन जाते हैं,हम बिखर भी जाए तोबस बुहार दिये जाते हैं ।
दोस्त वो नहीं होता, जोइस जहां से तेरी बुराइयाँ छुपा ले,दोस्त तो वो होता है,जो तुझे,इस जहां की बुराइयों से बचा ले । -
दोस्त वो नहीं होता, जोइस जहां से तेरी बुराइयाँ छुपा ले,दोस्त तो वो होता है,जो तुझे,इस जहां की बुराइयों से बचा ले ।
लोग तुम्हें खुशमिज़ाज कहते हैंमगर तुम्हारे मिज़ाज की रंगीनियों काएक राज़दार हूँ मैं । -
लोग तुम्हें खुशमिज़ाज कहते हैंमगर तुम्हारे मिज़ाज की रंगीनियों काएक राज़दार हूँ मैं ।
काश तू मेरे अश्क़ों सा होता,ख़ुशी में मेरे संग बहता औरदुख में भी मेरे संग रहता,काश… -
काश तू मेरे अश्क़ों सा होता,ख़ुशी में मेरे संग बहता औरदुख में भी मेरे संग रहता,काश…
वो मिश्री गोल गयाकानों में कुछ बोल गया,में सीधा-सादा नासमझमुझको छूकर वो चला गया,झोंका था हवा का या ख़्वाब मैंने देखा थासमझता उससे पहलेवो आँखों से ओजल हो गया । -
वो मिश्री गोल गयाकानों में कुछ बोल गया,में सीधा-सादा नासमझमुझको छूकर वो चला गया,झोंका था हवा का या ख़्वाब मैंने देखा थासमझता उससे पहलेवो आँखों से ओजल हो गया ।