hemendra seth   (हेमेन्द्र सेठ)
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Joined 15 January 2018


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22 HOURS AGO

देखता हूँ जब भी उसे
एक नई ग़ज़ल बन जाती है,
ना चाहते हुए भी
महफ़िल सी सज जाती है ।

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4 APR AT 20:00

तूने पढ़ा ना मुझको, तूने समझा ना मुझको,
फिर भी ना जाने क्यूँ मैंने बस लिखा तुझको ।

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5 MAR AT 19:11

किसी ने पूछा,
की किसके लिए लिखते हो ?
मैंने कहा,
लिखने वाले को बदनाम ना कर,
मैं अपने नाम से तेरी मोहब्बत को लिखता हूँ ।

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5 MAR AT 8:53

ना हलक से मय उतरी
ना हाथों में जाम था,
ये तो बस तेरा ख्याल था,
की कलम बहक रही थी
तुझे पन्नों पर उकेर रही थी ।

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22 JAN AT 20:13

नए युग की शुरुआत करे हम
राम राज की बात करे हम ।

प्राण प्रतिष्ठा मर्यादा की,
अपने मन में आज करे हम,
दे तिलांजलि नफ़रतों की
राम राज की बात करे हम
नए युग की शुरुआत करे हम…

पूरी कविता अनुशीर्षक में पढ़े 🙏🏻🙏🏻

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16 JAN AT 8:17

वो टूट जाए तो
शहर की सुर्ख़ियाँ बन जाते हैं,
हम बिखर भी जाए तो
बस बुहार दिये जाते हैं ।

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27 DEC 2023 AT 8:06

दोस्त वो नहीं होता, जो
इस जहां से तेरी बुराइयाँ छुपा ले,
दोस्त तो वो होता है,
जो तुझे,
इस जहां की बुराइयों से बचा ले ।

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15 DEC 2023 AT 21:38

लोग तुम्हें खुशमिज़ाज कहते हैं
मगर तुम्हारे मिज़ाज की रंगीनियों का
एक राज़दार हूँ मैं ।

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5 DEC 2023 AT 19:37

काश तू मेरे अश्क़ों सा होता,
ख़ुशी में मेरे संग बहता
और
दुख में भी मेरे संग रहता,
काश…

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23 NOV 2023 AT 8:10

वो मिश्री गोल गया
कानों में कुछ बोल गया,
में सीधा-सादा नासमझ
मुझको छूकर वो चला गया,
झोंका था हवा का
या ख़्वाब मैंने देखा था
समझता उससे पहले
वो आँखों से ओजल हो गया ।

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