hemendra seth   (हेमेन्द्र सेठ)
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Joined 15 January 2018


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Joined 15 January 2018
15 HOURS AGO

हर रिश्ते के बीच की कड़ी है वो,
हर वक्त हमारे साथ खड़ी है वो,
जिंदगी का सफर शुरू हुआ जब से
साथ-साथ हमारे चली है वो |
भगवान का दिया एक अतुलनिय गहना है
कोई और नहीं हमारी बहना हे वो |

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8 AUG AT 22:18

ज़िन्दगी के एक मोड़ पर एहसास होगा
की मेरे होने की अहमियत क्या थी,
आज तो जमीं पर खड़ा एक
सुंदर सा महल हो तुम,
खंडहर में तब्दील हो जाओगे
तब एहसास होगा
की मेरे काँधे की अहमियत क्या थी ।

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4 AUG AT 9:43

दोस्ती वो नहीं होती की हर रोज तुझसे
गुफ़्तगू किया करूँ,
दोस्ती तो वो होती है
की गुफ़्तगू किसी से भी करूँ
बस ज़िक्र तेरा किया करूँ |

दोस्ती वो नहीं होती की हर शाम
तेरे साथ बैठ कर पिया करूँ,
दोस्ती तो वो होती है
की अकेले में भी पियूं
तो बस तेरे नाम का पिया करूँ |

दोस्ती वो भी नहीं होती की हर बात में
तेरी फ़िक्र किया करूँ,
दोस्ती तो वो होती है
की मंदिर की चौखट चढ़ू
तो दुआ में तेरा नाम लिया करूँ ।

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2 AUG AT 19:31

वहम था, ना वो सुरूर था, ना ही फ़क़त ख्याल था
वो तो मुसलसल बरसते प्यार का सुकून भरा एहसास था |

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26 JUL AT 21:48

सुबह-सुबह अपनी अंगुलियों के पोर से चाय हिला देना,
शक्कर नहीं अपने प्यार की मिठास उसमे मिला देना |

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25 JUL AT 22:58

गलती से एक गलती कर बैठा,
उसे ना चाहते हुए भी याद कर बैठा |

भुलाने को उसे, नए दोस्त बनाए थे,
दोस्तों से ही उसका ज़िक्र कर बैठा |

वक़्त गुज़ारने को महफ़िल सजाई थी,
मगर हर शायरी में उसका नाम ले बैठा |

इत्तेफाक था या उसकी साजिश कहूं,
जहाँ छोड़ा था उसे, वहीँ मुलाकात कर बैठा |

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22 JUL AT 21:08

दोस्तों पर कई ने कहानियाँ लिखी,
किसी ने कविता रची,
किसी ने गुनगुनाया दोस्ती को,
तो किसी ने ग़ज़ल में दोस्ती लिखी;
मैने तो बस एक लाइन लिखी,
"मेरी साँसों में मेरे दोस्त बसते हैं"

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20 JUL AT 16:46

रब से कुछ माँगा ही नहीं था |
तुम ना मिले...
बस मिले तो ये कलम और काग़ज़
और ये अल्फ़ाज़
जिनमे पिरो कर लिखता हूँ
अपने जज़्बात |

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20 JUL AT 12:46

किसी ने पूछा की कहाँ हो तुम…?

मैंने कहा…
की झुका के नज़रों को जो तुमने
अपने दिल की तरफ़ देखा होता,
दिल के किसी कोने में
मैं तुम्हें मिल गया होता ।
😊😊😊

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20 JUL AT 9:55

मुसलसल बरसती रिमझिम ये बुँदे,
जब उसके यौवन को सहलाती है,
कलियाँ फूलों सी खिल जाती है,
बिजलियाँ गर्म साँसों की
बेहिसाब कड़कड़ाती है,
और शांत शाम मोहब्बत की
तूफानी शाम बन जाती है |

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