हर रिश्ते के बीच की कड़ी है वो,
हर वक्त हमारे साथ खड़ी है वो,
जिंदगी का सफर शुरू हुआ जब से
साथ-साथ हमारे चली है वो |
भगवान का दिया एक अतुलनिय गहना है
कोई और नहीं हमारी बहना हे वो |-
ज़िन्दगी के एक मोड़ पर एहसास होगा
की मेरे होने की अहमियत क्या थी,
आज तो जमीं पर खड़ा एक
सुंदर सा महल हो तुम,
खंडहर में तब्दील हो जाओगे
तब एहसास होगा
की मेरे काँधे की अहमियत क्या थी ।-
दोस्ती वो नहीं होती की हर रोज तुझसे
गुफ़्तगू किया करूँ,
दोस्ती तो वो होती है
की गुफ़्तगू किसी से भी करूँ
बस ज़िक्र तेरा किया करूँ |
दोस्ती वो नहीं होती की हर शाम
तेरे साथ बैठ कर पिया करूँ,
दोस्ती तो वो होती है
की अकेले में भी पियूं
तो बस तेरे नाम का पिया करूँ |
दोस्ती वो भी नहीं होती की हर बात में
तेरी फ़िक्र किया करूँ,
दोस्ती तो वो होती है
की मंदिर की चौखट चढ़ू
तो दुआ में तेरा नाम लिया करूँ ।-
वहम था, ना वो सुरूर था, ना ही फ़क़त ख्याल था
वो तो मुसलसल बरसते प्यार का सुकून भरा एहसास था |-
सुबह-सुबह अपनी अंगुलियों के पोर से चाय हिला देना,
शक्कर नहीं अपने प्यार की मिठास उसमे मिला देना |-
गलती से एक गलती कर बैठा,
उसे ना चाहते हुए भी याद कर बैठा |
भुलाने को उसे, नए दोस्त बनाए थे,
दोस्तों से ही उसका ज़िक्र कर बैठा |
वक़्त गुज़ारने को महफ़िल सजाई थी,
मगर हर शायरी में उसका नाम ले बैठा |
इत्तेफाक था या उसकी साजिश कहूं,
जहाँ छोड़ा था उसे, वहीँ मुलाकात कर बैठा |-
दोस्तों पर कई ने कहानियाँ लिखी,
किसी ने कविता रची,
किसी ने गुनगुनाया दोस्ती को,
तो किसी ने ग़ज़ल में दोस्ती लिखी;
मैने तो बस एक लाइन लिखी,
"मेरी साँसों में मेरे दोस्त बसते हैं"
-
रब से कुछ माँगा ही नहीं था |
तुम ना मिले...
बस मिले तो ये कलम और काग़ज़
और ये अल्फ़ाज़
जिनमे पिरो कर लिखता हूँ
अपने जज़्बात |-
किसी ने पूछा की कहाँ हो तुम…?
मैंने कहा…
की झुका के नज़रों को जो तुमने
अपने दिल की तरफ़ देखा होता,
दिल के किसी कोने में
मैं तुम्हें मिल गया होता ।
😊😊😊-
मुसलसल बरसती रिमझिम ये बुँदे,
जब उसके यौवन को सहलाती है,
कलियाँ फूलों सी खिल जाती है,
बिजलियाँ गर्म साँसों की
बेहिसाब कड़कड़ाती है,
और शांत शाम मोहब्बत की
तूफानी शाम बन जाती है |-