hemant kumar   (Writer sahab)
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Me bas likhta✍️ hu
Joined 9 December 2019


Me bas likhta✍️ hu
Joined 9 December 2019
27 JAN 2022 AT 0:23

एक नन्ही सी परी...
क्यूं रोंध दिया जाता है उसे
कुछ कुरीतियों के पैरों तले
अभी तो उसने सवेरा भी नही देखा था
क्या अज्ञान का ये अंधकार
खा गया उस ज्ञान के प्रकाश को
एक मां के विश्वास को
एक धर्म की आश को
क्यूं अब तक ये बदलाव न हुआ
अंधेरा खत्म होकर दिन का उजास न हुआ
जीना चाहती है वो भी,उड़ना चाहती है वो भी
एक बंद कली से फूल बनकर खिलना चाहती है वो भी
एक नन्ही सी परी....

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30 AUG 2021 AT 16:23

पलके झुके और नमन हो जाए

मस्तक झुके और वंदन हो जाए

ऐसी नजर कहां से लाऊं मेरे कन्हैया

कि आपको याद करूं और

आपके दर्शन हो जाएं🙏

जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं🙏

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30 AUG 2021 AT 16:21

बहुत जरूरी है जीवन में एक लय होना ।
बहुत जरूरी है जीवन में कुछ तो तय होना ।।
बहुत जरूरी है जीवन में पाप-क्षय होना ।
बहुत जरूरी है जीवन में कृष्णमय होना ।।

श्री कृष्ण के अवतरण दिवस
की हार्दिक शुभकामनायें

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4 AUG 2021 AT 11:19

बारिश अब रुकनी चाहिए
काले बादलों से रोशनी
निकलनी चाहिए

कविता लिखना मकसद नही था मेरा
पर कम से कम चड्डी बनियान तो सूखनी चाहिए
😜😜

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3 AUG 2021 AT 22:41

ये इश्क़ भी कितना नाकारा है जनाब
कमबख्त मंजिल आते आते
फिर सो जाता है

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3 AUG 2021 AT 22:35

गर यही जिंदगी है
तो ऐ मौत...
बड़ा बे सबरी से इंतजार है तेरा

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16 JUN 2021 AT 0:06

कभी संभल कर चलना हमने भी सीखा था
गड्ढों में गिरने के बाद बदलना हमने भी सीखा था..
🙂🙂🙂
कुछ ख्वाहिशों को तो तवज्जो तक ना दी हम ने
वरना खूबसूरती देख मचलना हमने भी सीखा था..
😉😋😜

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11 JUN 2021 AT 7:27

यूं रंग बदलते दुनिया देखि
देखा जग व्यवहार..
दिल टूटा तब तुझको पाया
ठाकुर मेरे सरकार....

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8 JUN 2021 AT 23:15

तनावों से लिप्त वक्त का दायरा ही कुछ ऐसा है..

कमबख्त गुजरते- गुजरते भी जान ले जाता है.....

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7 JUN 2021 AT 15:47

हरितिमा....
ओस की बूंदों को, जुल्फों की तरह झटकाए
एक नया चटकीला रंग, अपने बदन पे ओढ़ाए
यूं संवर कर सामने आती प्रकृति
मानो सारी दुनिया संवर जाए
इसकी खूबसूरत अदाएं मन भाती है
जब धूल छटका कर पत्तियां रास दिखाती है
सुरीली हवा इनसे टकराकर एक मीठा राग बनाती है
मानो वो ग्वाले की बांसुरी मुख से छू जाती है
नई दुल्हन सी सज आती है प्रकृति
जब लहलहाती शाखाएं नृत्य कर दिखाती है

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