दीदार-ए-यार मेरे हर मर्ज की दवा है,
रूह मुस्कुरा जाती है उसके गले लग कर !!-
अगर लिखना चाहूँ *इश्क* को,
तुझको मैं *शराब* लिख दूँ !
उड़ेल के तुझकों *मय* के प्यालों में,
खाली में सारे *जाम* कर दूँ!!-
"मेरे हसीन ख्वाबों की प्यारी सी शहजादी हो तुम,
मैं कतरा-कतरा जी लेता हूं तुम्हें अपनी नींद के आगोश में!!"-
तेरी इन आंखों के दरमियां डूब जाऊ, जो तू कहें,
तेरी जुल्फों की छांव तले तुझे निहारू, जो तू कहें !
भुला के सारे गिले-शिकवे आ तुझे गले लगा लू मैं,
मैं तेरे सुर्ख लबों की हसीं बन जाऊ, जो तू कहें !!-
नुक्श निकालते है लोग कुछ इस कदर हम में,
की जैसे उन्हें खुदा चाहिए था और हम इंसान निकले!!-
"बन्द बोतलों में जो ढूंढने निकले हो सुकून तुम,
महज कोरा भ्रम निकलेगा चंद लम्हों के बाद !!"-
हार चुका सब कुछ खुद को पाने की जद्दोहद में,
मैं काबिल ना बन सका खुद की नजरों में कभी!!-
देर सवेर ही सही, हकीकत से रूबरू होना भी लाजमी है आदिल,
यहां ख्वाबों की दुनिया को कोई अपनी हकीकत मान बैठता है!!-
उन कजरारे नैनों की कशिश थी, या उनके इश्क की सादगी,
हुजूर से जब भी निगाहे चार होती थी,सांसे हमारी थम जाती थी !
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कि…. यूं ना तड़पा, आ के मुझे गले लगा ले!
कहीं जां न चली जाए, एक तेरे दीदार की तलब में!!-