Hemant Kulshrestha   (हेमंत कुलश्रेष्ठ ('अंजान'))
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Joined 21 May 2018


Joined 21 May 2018
25 APR 2024 AT 21:51

*पापा हम फिर मिलेंगे*......

पापा हम फिर मिलेंगे,
यहां नहीं तो वहां मिलेंगे।

मिलेंगे जब कभी जीवन की उलझनों में उलझा पाऊंगा खुद को,
मिलेंगे जब कभी खुश ना रख पाऊंगा मैं सब को।

मिलेंगे हम जब कभी उदास होगा मन मेरा ,
मिलेंगे जब अकेला हो जाऊंगा और साथ नहीं देगा कोई मेरा।

पापा हम हर बार मिलेंगे,
यहां नहीं तो वहां मिलेंगे ।

मिलेंगे जब भी आईने में खुद को देखूंगा,
अपने अंदर के पिता में आपका अक्स ढूंढूंगा।

मिलेंगे हम जब भी बच्चों को आशीष देंगे मेरे हाथ,
मिलेंगे जब भी आप की तरह जीवन में दूंगा उनका साथ ।

पापा हम कई बार मिलेंगे,
यहां नहीं तो वहां मिलेंगे ।

मिलेंगे फिर हम पिंड बन कर,
गाँव के उस आखिरी चबूतरे पर राख बनकर।

मिलेंगे सोरों कछला के घाट पर।
या फिर किसी दिन किसी श्राद्ध पर ।


पापा हम फिर मिलेंगे यहां नहीं तो वहां मिलेंगे।

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12 JUL 2021 AT 19:21

शिकायत - 1

अब नफरत भी तुम्ही से, मोहब्बत भी तुम्ही से,
तुम्हारी शिकायत भी करते हैं तुम्ही से।

वो वादे, वफ़ाएँ, वो यादों के झुरमुठ,
सभी ये सवालात करते तुम्ही से।

की जा तो रहे हो, पर भूलोगे कैसे?
जो पल थे हमारे, वो बांटोगे कैसे?

गर मुड़ कर कभी जो यहां आना पड़े तो,
सनम हमसे नजरें मिलाओगे कैसे?

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12 JAN 2020 AT 17:05

लिखा था जो तकदीर में वो हो गया था,
जिसकी पनाह में जीना था वो ही खो गया था।
तुम बिन जिंदगी एक बुरा ख्वाब थी,
अब वो ख्वाब सच हो गया था।

मेरी हर ख्वाहिश को क़रीने से सजाते थे तुम,
मेरे हर ख्वाब को अपना बनाते थे तुम।
पर तुम्हारा हर ख्वाब अधूरा रह गया था,
जिसके लिए मुझे जीना था वो ही खो गया था।

मेरी महज आवाज से मेरा हाल जान लेते थे,
जो हमेशा काम आते ऐसे नुख्से देते थे।
आख़िरी वक्त में साथ होकर भी दर्द तुम्हारा ना जान सका था,
क्या करता कोई जतन, मैं हिम्मत हार गया था।

मेरी हर मुसीबत में मुझसे ज्यादा परेशान थे तुम,
मेरी हर नाकामयाबी पर मुझसे ज्यादा उदास थे तुम।
देनी थी हर खुशी तुमको पर मैं कुछ दे ना सका
करना था बहोत कुछ पर कुछ कर ना सका

ईश्वर अल्लाह अब किसी से वास्ता नही है
जब मुझे जन्म देने वाला ही मेरे पास नही है
कर्ज तुम्हारा कभी न चुका पाऊंगा
पर वादा है मेरा फिर तुम्हारा बेटा बनकर आऊंगा

love you papa....

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18 JUN 2019 AT 14:54

"मेरी चप्पल"
चपल चपल चंचल चप्पल
मेरी चप्पल बड़ी अलबेली है।

मेरे संग ही रहती है, ये मेरे संग है फिरती है
मेरी प्यारी सी चप्पल मेरी सबसे अच्छी सहेली है।

कंकर पत्थर चुभे ना मेरे, कितना खयाल ये रखती है,
सारा दर्द सह लेती है पर ना शिकायत कोई करती है।

भागूं तो संग भागे मेरे, चलूं तो साथ ये चलती है,
हमकदम है मेरी चप्पल, हर कदम पर साथ रहती है।

ना मांगे नरम बिस्तर, ना मांगे कोई आराम,
कंकर, पत्थर, पानी, कांटे सब पर चलना इसका काम।

साथ रहे बिना शर्त के पर ना मांगे कोई इनाम,
मेरी चप्पल सबसे अच्छी दिल से इसे करूं सलाम।

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8 JUN 2019 AT 22:12

"अलविदा"

बहोत ठहर लिए इस मोड़ पर,
चलो अब अलविदा कहते हैं।

अब तुम्हे पाने की चाह नहीं,
चलो अब अलविदा कहते हैं।

रुक रुक कर साथ चलने को यूँ ही तेरा इंतजार किया,
चलो आगे के इस सफर पर तन्हा ही हम बढ़ते हैं।

कुछ घने बादल कुछ धुआं सा है वहां,
वजह क्या है इस कशमकश की वहां जा कर पता हम करते हैं।

कोई चाहे हमे भी शिद्दत से, कोई मांगे हमे भी हसरत से,
इस मोड़ के बाद उस मंजिल की ओर अब अपना रुख हम करते हैं।

रुके रहो तुम अब इसी जगह "अंजान"के इंतजार में
हम तो बस अब आखिरी अलविदा तुमसे करते हैं।

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1 JUN 2019 AT 0:50

चुप है ये रात दरख्तों को हिलाता क्यों है,
तू थके मांदे परिंदों को उड़ाता क्यों है?
कल को भूल कर आगे बढ़ गया हूं मैं,
तू सुइयां घड़ियों की पीछे घुमाता क्यों है?
धूप में चलकर तपिश सहन की हो तो पता चले,
छाओं में बैठ कर अंदाजा लगता क्यों है ?
मुस्कुराना तो आदत है इन लबों की पगले,
इसका मतलब मेरे सुख दुख से लगाता क्यों है?
वीरान थी वो नहर जिस से टकराया था में,
छोड़ आया जिस दरिया को उसकी प्यास जगाता क्यों है?
अब प्यार का ही तो रूप है सब त्याग, तपस्या, पूजा,
इनमे फर्क करके मुद्दा बनाता क्यों है ?

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2 APR 2019 AT 14:23

मोहब्बत 1
आज भी मैनें डायरी का वो पन्ना नही फाड़ा,
जिस पर कभी तुमने प्यार का इजहार लिखा था ।
कभी कभी आ जाती हो तुम मेरे उन ख़यालों में,
जिन पर कभी तुमने इकतरफा राज किया था ।
मेरी सर्दियों की सुबह तुम थी, गर्मियों की शाम थी तुम,
तुम ही थी मेरे हर्फ़ दर हर्फ़ में, मेरी मोहब्बत मेरी जान थी तुम ।
यूँ ही बरसों बीत गए अब वो बातें भी धुंधली सी लगती है,
जिन तस्वीरों में गहरे थे अपने प्यार के रंग, अब वो तस्वीरें फीकी सी लगती है।
यूँ ही रास्ते बदल गए, कुछ वो संभले कुछ हम संभल गए,
मोहब्बत के इस सफर में हम वहीं रहे और वो आगे कहीं निकल गए।
"अंजान" पहेली मोहब्बत की, अब तुम को सुलझाना है,
दिल का अपना नाता था इसे दिल में कहीं दबाना है।
आया न करो ख़यालों में ये गुजारिश करेंगे,
जाओ तुम दूर, अब हम नई मोहब्बत करेंगे।

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18 MAR 2019 AT 0:02

आशिक पार्ट 1
मोहब्बत कर के गुनाह उन दोनों ने कर लिया था,
अंजानो की बस्ती में किसी को अपना कर लिया था।
न हुई गवारा ये कहानी उन समाज के ठकेदारों को
जिन्होंने प्यार से अपना वस्ल जुदा कर लिया था।

सबने मिलकर उन्हें मौत का फरमान सुनाया था,
एक जियेगा एक मरेगा ऐसा सितम ढाया था।
था वो आशिक़ मतवाला मौत का फरमान सुनकर भी मुस्काया था,
पास खड़े अपने सनम को उसने गले लगाया था।
कहा जिंदगी जी चुका तुम संग, जुदा होकर वैसे भी मर जाऊंगा।
खुदा के घर पहुँचकर तेरी राह में फूल बिछाऊंगा ।

जुदाई का डर और आंसुओं का सैलाब था उनके चेहरे पर,
एक दूसरे के बिना जीना होगा इन दरिंदों के कहने पर।
आखिरी हसरत पूछी जब उस मतवाले आशिक़ से,
कहा पियूँगा जहर का प्याला अपने मेहबूब के हाथों से।

पिया जहर का प्याला तब भी वो मुस्काया था
अपने रब के हाथों से उसने मौत का तोहफा पाया था

"जा रहा था जनाजा उस दिन सच्चे आशिक़ का,
खुदा की रहमतों से तरबतर उसके सच्चे काबिज का।
खत्म हुआ प्यार का तमाशा, मातम का माहौल था।
आशिक़ की मौत से सहमा हर पत्ता हर फूल था।"

to be continued.....

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2 MAR 2019 AT 21:26

"आखिरी मुलाकात"

गर्दिशों में कटी थी रात, दिल का धड़कना मुश्किल था,
तेज आंधी के थपेड़ों में, दिए का जलना मुश्किल था।

शायद की थी घोर तपस्या, या प्यार की ही वो ताकत थी,
वरना खुवाहिशों का जाल हटा कर, करार पाना मुश्किल था।

अल्फाजों का कारवां तो उस रात भी चला था,
पर कारवां का मंजिल तक पहुंच पाना मुश्किल था।

अश्कों से भीगे चेहरे और सूजी हुई थी आंखें,
उन आंखों में प्यार के सिवा कुछ और देख पाना मुश्किल था।

खामोशी का शोर भी उस रात कुछ इतना था,
उस शोर में कुछ और सुन पाना मुश्किल था।

हम तो मुफ़लिस थे चश्म ओ तर के जिनके,
सामने थे वो मगर, उन्हें आँखों में बसना मुश्किल था।

पा लेते उस रात उनको,
पर रूबरू हो कर भी रूबरू हो पाना मुश्किल था।

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17 FEB 2019 AT 16:14

रो चुके बहोत अब दुश्मन को रुलाना है,
ऊरी और पुलवाम अब कराची और लाहौर को बनाना है।

बहोत हो चुकी अमन की बात,
देश के हर शहीद का बदला लेकर आना है।

देशतगर्दों को अब सबक सिखाना है,
"अंजान" है वो जिस ताकत से उन्हें वो ताकत दिखाना है।

उसकी रूह भी थर थर काँपेगी मेरे देश का जिक्र सुनकर
^जैश^ के सर को गर्व से इस्लामाबाद में लहराना है।

सुनलो देश के हुक्मरानों, करदो जल्द ऐलान कोई,
आज देश के हर बच्चे बड़े को सरहद पर लड़ने जाना है।

संभल सके तो सम्भल जा ऐ पकिस्तान,
हमारा इरादा तुझे हिंदुस्तान में मिलाना है।
जय हिंद

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