ये मेरी आरजू है.
हर कहांनि का अंत हसीन हो वो ज़रूरी तो नही!
कुछ किस्से कहांनियां अधूरी हे कर ही पूरी होती है,
में तेरे पास नही हूं तो ना सही,
पर ये मेरी आरजू है की जब सूरज़ की पहली किरन तूजे छुए तो वो किरन में बनुं,
तेरे धडकते दिल की धडकन की हर आहट पें में ही मिलूं,
तेरी हर सांस के आवन जावन में मैं ही मैं रहूं,
तेरी हर सोच का अंतिम दायरा मैं ही रहूं,
तू जब फूलों को छूए तो फूलों के स्पर्श में मै ही मिलूं,
माना की इस जहां में ना मिल पाए पर उस जहां से आती हवा की हर लहेरों में मै बस कर तुम्हें छू लूं.
हेमांगी-
8 OCT 2020 AT 21:43