7 MAY 2021 AT 17:08

यादे हवां के जोखो सी,
मेरे अंतर मन से ऐसे लिपट़ती है जेसे मेरे गाल पे लिपट़ती हे तेरी झूलफे,
जब जब निंद से जगनें का सोचुं,
तेरी यादे मुझे लोरी सूनाके सुलाती हो जेसे,
रात का चाँद भी अब तो मुझे तुजसा ही दीखे,
जब जब उसे देखूं तु मेरे अँदर ही महेकें,
ये यादे मुझे अब बावरा बनाये,
जितना भी मैं सोना चाहूं उतना ही मूझे जगाये.
हेमांगी

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