10 MAY 2021 AT 17:49

तन्हाई ओ तन्हाई.
तन्हाई ओ तन्हाई ,
तु हे कितनी हरजाई,
ना तु मुझे जिनें दे ना ही तु मुझे तन्हां रहेने दे,
वक्त बेवक्त मेरे दिल में तु तुफां मचाने लगे,
आँखो के प्यालो में न खत्म हो वो पानी रहेनें दे,
ना दिन कां सूरज़ रास आऐ ना शाम का झोखा मन को सूकुं दे पाऐ,
बिरहां की अग्निं में मन जलता जाऐ,
तन्हाई ओ तन्हाई,
तु हे कितनी हरजाई.
हेमांगी

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