20 OCT 2020 AT 16:35

तन्हाई ऐसी है.
तन्हाई कुछ ऐसी है जैसे खूद से खूद की जंग हो रही है,
सब कुछ शांत शांत सा है पर दिल के किसी कौने में सब बिखरा बिखरा हो रहा है,
बहूत कुछ बोलना है,कहना है,
पर लबों पें अजीब सी चुपकी सी आ कर बैठ गई है,
अलफा़ज में भी अब सिलवटे पडने लगी है,
अपनों की नजदिकीयों में भी अब दम धूटनें लगता है,
बिन बात आँखों से इश़्क बहनें लगता है,
अब तन्हाई ऐसी लगनें लगी है जैसे मुझ से मुझ में मेरी परछाई मिल रही हो ऐसे.
हेमांगी

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