1 SEP 2020 AT 19:30

तेरे पास ही हूं।
तेरी बातो में,शब्दो में,मौन में,
मै ही हूं,तेरे पास ही हूं।

तेरे कमरे मे आती सुबह की सूरज की हर एक किरण में,
मै ही हूं,तेरे पास ही हूं।

चाय के कप से निकलते धुंए की गर्म भाप में,
मै ही हूं,तेरे पास ही हूं।

बरसते बादलो की हर बूंद में लिपटी ठंडक में,
मै ही हूं,तेरे पास ही हूं।

बारिश से भीगी हुई मिट्टी की खूशबू में,
मै ही हूं,तेरे पास ही हूं।

शाम के आसमान पर सजी सिंदूरी चूनर में,
मै ही हूं,तेरे पास ही हूं।

रात मे बिस्तर पर सजे तकिये की नर्म नर्म गोद में,
मै ही हूं,तेरे पास ही हूं।

अब और तो क्या बताउं!
जब तुम सांस भरते हो उस हर सांस की हर एक आहट में,
मै ही हूं,तेरे पास ही हूं।

हेमांगी

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