तेरा मेरा रिश्ता अनलिख़ी नज़्म सा,ना कभी "मैं" तुमें लिख पाई,और ना कभी तुम मुजे पढ़ पाऐं.हेमांगी -
तेरा मेरा रिश्ता अनलिख़ी नज़्म सा,ना कभी "मैं" तुमें लिख पाई,और ना कभी तुम मुजे पढ़ पाऐं.हेमांगी
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