5 MAY 2021 AT 8:33

सूबह धूप सी तुम मूजे जगानें आती हो,
पास बैठती हो,
मेरे बालो को सराहती हो,
कभी कभी हवा का झोका भी तुम बन जाती हो,
कभी कभी ओस बन कर मेरी आँखो पर बैठ जाती हो,
में अंगडाई लेता हूआ,आधी अधूरी निंद सा तूम्हे ढूंढता हूं,
और तुम ख्वाब सी ख्वाब बन कर ख्वाब में समा जाती हो.
हेमांगी

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