1 MAR 2021 AT 19:04

शायद मेरे अंदर पहले कुछ सूलगता था,
अब वहां दूर तक खामोशियां है,
कभी कभी वो बे-वज़ह चिखता चिल्लाता था,
अब वो गूमसूम सा ,दबा दबा सा कुछ ढूंढता रहता है,
में धीरे से उसे पास बुलानें की कोशिश करती रहती हूं,
पर वो थोड़ा जिद्दी सा है,
शायद वो कुछ भूल गया है,
कुछ उस कें हाथों छूट़ गयां है,
कुछ तुमसा , कुछ मुज़सा है,
शायद वो "इश़्क" है.
हेमांगी

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