रंग बदलती रात.
रंग बदलती ये रात तेरे ख्वाब दिखा जाती है,
मैं सोती हुई भी जगती रहेती हूं,
तु साथ ना होकर भी तुजें साथ महेसूस करती रहती हूं,
रात जब करवट़ बदलती है,
कुछ सुब्ह को गले लगाती है,
तब मैं तुजे अपनें आप में समा लेती हूं,
ये रंग बदलती रात लगती है मुझे अपनें मिलन की रात.
हेमांगी-
1 FEB 2021 AT 21:11