18 FEB 2021 AT 21:22

रिवाजों की बेड़ीयाँ.
रिवाजों की बेड़ीयों नें जकड़ रख्खा है कुछ लोगो को इस तरह,
ना वो जीते है ना जीने देते है,
वक्त बेवक्त पाबंदीयों की माला पहनायें फिरते है,
जूठी शान के चलते वो इन्सान ही मिट जाते है,
रिवाजों की आड़ में अपनें अहम को सेह देते है,
कितने बेबस, लाचार लोगों को अपनां निशाना बनाते है,
ये रिवाजों की बेडि़यों में जकड़े हुऐ कुछ लोग समाज़ को खोखला करते है.
हेमांगी

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