12 JUN 2020 AT 9:51

रेखाएँ क्या कहती है.
अपनी सीमा में रह कर आगे बढो,
बेमतलब का किसी की जिंदगी में मत झांको,
अपना दायरा खूद ही तैय करो,
जिंदगी मुश्किल राहों से आगे बढ़ कर ही आसान हो जाती है,
जेसे हाथों की लकीरें ऐक दूसरे से उलझ कर अंत में ऐक हो जाती है,
ऐक दूजे का हाथ थाम कर ही हम अधूरे मे से पूरे हो जाते है,
रेखाएँ यही ही कहती है वो आधी हो कर भी कहीं जाकर पूरी हो जाती है.
हेमांगी

-