रात सितारे और मैं.
रात सितारे और मैं जब निंद की आगोश में लिपटते है,
यकीन मानों दिल को अजीब सा शूकुन सा महसूस होता है.
तकिये पे रख्खा हूआ सर लगे जेसे तेरी गोद हो,
रात की चूनर पर सितारों की लडी लगी हो,
मैं सोचुं तेरे बारे में बारबार लगातार,
चांद भी ये देख इतराए हर बार,
मेरे सपनों के आंगन में तेरी यादो की बारात उतरती है,
मैं निंद में ख्वाब में भी सजती संवरती शरमां जाती हूं,
ना मैं कहीं ठहरती हूं ना संभलती हूं,
रात सितारे और मैं बस बहते रहते है इतराते रहते है.
हेमांगी-
7 SEP 2020 AT 13:25