30 SEP 2020 AT 23:36

रात एक पहेली है.
रात एक पहेली है,
लगता है जैसे मेरी सहेली है,
दिन की दौड से थक जाते है हम,
तब रात के झूलें में सूकुन के दो पल बिताते है,
जो टूटे हूए ख्वाब के अश्क दिन में बहा न पाये हो,
उसे रात के तकियें के नीचें बूला देते है,
और वो नासमज आ भी जाते है,
कभी कभी अधूरें ख्वाब की चिंगारी दिन को जलाती है,
तब मरहम लगाने रात को सूला देते है,
तूज से मिलना मुनाशीब नहीं दीन के उजा़लों में,
तो तुजे मिलनें रात को चूरा लाते है.
हेमांगी

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