पुरुष चाहता है
दुनिया में कोई ऐसी "गोद"
जिस में रख सर सारा दर्द मिट जाऐ।
दुनिया के तुफानो के बिच में
वो गोद में सुकुन की निंद सो पाऐ
वो जानता है की वो गोद में कभी कभी आंसूओ की बारिश भी हो सकती है
या ख्वाबो के बोझ तले दब भी सकती है
फिर भी सुकुन की निंद वही पर ही मिलती है
दुनिया की भीड से रुखसत हो कर के वहीं पर अपने आप को पा लेते है
खालीपन का बोझ कभी महसूस ही नहीं होता उस गोद में जाकर
जिंदगी की दौड मे फिर चल देते है उस गोद की खुश्बू लेके।
हेमांगी-
4 SEP 2020 AT 8:50