पलटकर देख लेते,।
रास्ता अब भी वही मंजिल तक जाता है
उस रास्ते पर ही मै अब तक खडी हूं
जहां हमारी जिंदगी के रास्ते अलग हूए थे
एक बार भी तुमने पलटकर देखना मुनासिब नही समजा!
दिल मे अब तक मै ही रहती थी
एसा क्या हुआ की अब वहां पर यादो का धुंआ भी नही ठहरता!
परायों की बातो का ऐसा असर तुम पर हुआ की
तुमने ही सोचना,महसूस करना ही गवारा नही समजा
तुमे तो मेरे आंखो की काजल से इश्क था
आज भी वो काजल लगी आंखे अनजानो की भीड मे तुम्हे ही ढूंढती है
हेमांगी-
3 SEP 2020 AT 8:12