14 MAR 2020 AT 7:35

पलट आ ओ मुसाफिर,
मैं आज भी वहीं खडी हूं,
जहां तुम मुझे छोड़कर चले गए थे,
वो बेजान बनी हुई मेरी आंखें,
तरस रही हैं तुम्हें देखने को,
पलट आ ओ मुसाफिर.
हेमांगी

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