"ना ही ये रूह सजती है, ना सँवरती है,
ना ही ये रूह दुल्हन बनती है, ना ही विधवा होती है,
जनाब, ये सारा मसला तो 'जिस्म' का है.."
-हेमांगी-
16 OCT 2020 AT 11:32
"ना ही ये रूह सजती है, ना सँवरती है,
ना ही ये रूह दुल्हन बनती है, ना ही विधवा होती है,
जनाब, ये सारा मसला तो 'जिस्म' का है.."
-हेमांगी-