मन की केतली मैं अरमानों कि चाय उबलती हैं,
वक्त बेवक्त उफनती हैं,
तेरी यादों की शक्कर जब चाय में गीरती हैं,
ना मैं संभलती हूं ना यादें संभलती हैं.
हेमांगी-
4 MAY 2020 AT 8:30
मन की केतली मैं अरमानों कि चाय उबलती हैं,
वक्त बेवक्त उफनती हैं,
तेरी यादों की शक्कर जब चाय में गीरती हैं,
ना मैं संभलती हूं ना यादें संभलती हैं.
हेमांगी-