23 OCT 2020 AT 16:34

मिलों तो इस तरह.
कभी साये को खूद से जूदा हो कर किसनें देखा है!
तुम भी मिलों तो इस तरह कुछ हमसे की खूद से जूदा न कर पाओं,

कभी चांद भला चांदनी से दूर कहां रहता है!
तुम भी मुझ में कुछ इस तरह समां जाओ की चाहकर भी कोइ हमें जूदा न कर पाएं,

कभी देखा है कोई दरियां बिन साहिल सा!
तुम भी मेरी ज़िंदगी के वो साहिल बन जाओ जहां भी जाउं बस तुम को ही पाउं.
हेमांगी

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