मगर ये सच नहीं.
लोग तो बोलते है ओर बोलेंगे,
बेतुकी बाते करना फितरत है उनकी,
तुम क्यों मचलते हो!
क्या हमारे प्यार की डोर इतनी ही पक्की थी!
जो लोगो की बेबुनियाद बाते सुनकर उन में उलझन सी आ गई,
सुलगते अल्फाजो में अपने आप को क्यों झोकते हो!
लोगो की बातो पेश ध्यान दे के अपने रिश्ते की क्यों कसौटी लेते हो!
आज भी "में" वो ही हूं जो तुज में अपने आप को पा लेती थी
तुम सोच ने लगे की में बदल गई हूं,
मगर ये सच नही,
सच तो ये है की तुमने मुझे देखने का नजरिया ही बदल दिया है ।
हेमांगी-
4 SEP 2020 AT 16:26