26 SEP 2020 AT 17:11

मेरा दिल वापस करदो.
चलो छोड़ दो ये शिकवे शिकायते,
अब इन बातों के कोई मायने ही ना रहे,
तुम बदले में भी बदल गई ,
यहां तक की अपनीं सोच के दायरे मायने भी बदल गये,
ना तुम्हें वो जिंदगी राज़ आती है ना ही बाते,
ना ही अब वो इश़्क की आग दोनों के सिने में जल रही है,
एक वक्त था जब इश़्क की सिगार लबों पें लदाए फिरा करते थे तुम,
उस के हर कश के धूंए में खूद हम खूद का चहेरा देखा करते थे,
में मिट्टी सी और तुं बारिश सा जो हर बार अपने इश़्क की बारिश में मुइे भीगोता था,
अब न जाने कहां वो बादल चले गए और में मिट्टी सी सूखि दो बूंद पानी के भी तरस रही हूं!
अब ना ही कोई ख्वा़हिशे है ना ही कोई अरमान!
मेरे लिए अब कुछ करो यां ना करो!,
मुइे बस मेरा दिल वापस कर दो.
हेमांगी

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