में सिर्फ अल्फाज नहीं लिखती,
मेरे जज्बात निचोड़कर के सुला देती हूं पन्नो पर,
बेजान से पन्ने फिर तिलमिला उठते है,
दिल की चुभन को सजाना सवारना पडता है ,
तब जाकर उन्ह मे जान बस जाती है ,
जो हर दिल की जान बन जाती है ।
हेमांगी-
3 SEP 2020 AT 22:38
में सिर्फ अल्फाज नहीं लिखती,
मेरे जज्बात निचोड़कर के सुला देती हूं पन्नो पर,
बेजान से पन्ने फिर तिलमिला उठते है,
दिल की चुभन को सजाना सवारना पडता है ,
तब जाकर उन्ह मे जान बस जाती है ,
जो हर दिल की जान बन जाती है ।
हेमांगी-