9 JAN 2021 AT 16:24

मैं वो किताब हूँ.
जिसमें नज़्म बनकर तुम्हें छिपाती हूं,
हर कोई पढनां,जानना चाहता है पर मेरें अल्फा़ज में छिपे इश़्क को महसूस नहीं कर सकते,
हर बार ! हर बार मैं नई हूं,
अपनें आप में पहेली हूं,
जो भी हूं,जेसी भी हूं,
अपनें आप में बेमिसाल हूं.
हेमांगी

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