ख़्वाब के नगर में.
रोज़ रात को ख़्वाब के नगर में कश्ती ले कर निकलते है,
तेरे एहसास को सिने से लगा कर आसमां के पार चले जाते है,
ख़्वाब के नगर में अपनी अलग दूनियां बसाते है,
जो हकिकत ना बन सकी वो इ़श्क की दास्तां ख़्वाबो में सजाते है,
तेरी महक को चांद की चांदनी में महसूस करते है,
ज़रा ज़रा करके ख़्वाबो में इ़श्क में हद से गुज़रजाते है.
हेमांगी-
15 SEP 2020 AT 17:36