ख़र्च कर दिया खूद को ।
ख़र्च कर दिया खूद को अपनो को संवारते संवारते ,
किसी की भी प्यास बुझी नहीं मुझे पीते पीते,
जिंदगी के उस मुकाम पर पहुंचे ही नही ख्वाहिशो का चिराग जलाते जलाते,
अधूरी ख्वाहिश और अधूरे इश्क का दामन छूटा ही नहीं आशा का दीपक जलाते जलाते,
लौटना चाहा उन अंजाने रास्तों पर से पर दिल ने माना ही नहीं चलते चलते,
ख़र्च कर दिया खूद को अपनो को संवारते संवारते ।
हेमांगी-
10 SEP 2020 AT 7:31