कहानी मुख़्तसर थी
कहानी मुख़्तसर थी पर हर किसीको छू ती थी,
वक्त बदला,किरदार तक बदल गए ,
बस नहीं बदली तो सिर्फ कहांनी की रूह,
कल भी नये लोग आएंगे नये किरदार भी होंगे ,
फिर भी लोग उन्हें ही ढूंढेगे हर किरदार में,
वो सोंच रही थी अकेले में बैठ,
कहांनी मुख़त्सर थी,
पर जब जब ये दिल अतीत के पन्नों के बिच में फसतां है तो आंखे नम सी क्यूं होती है!
दिल के किसी कोने में चूभन सी महसूस क्यूं होती है!
हेमांगी-
11 SEP 2020 AT 21:01