काश में एक डायरी होती या किताब,
तेरी हर अनकही बातों कों पन्नों के दिल पे सूला देती,
तु जब भी मुझे छुता तो हर बार में नयी हो जाती,
तु इश़्क के अलफाज़ को जब भी पन्नों पे सजाता तो में हर बार निखर जाती,
तेरी उंगली की छुअन मेरे हर एक पन्नें को नया बना देती,
जो तु ना कह सके वो अलफाज़ मै बन जाती,
तेरे दिल की हर बात मेरे पन्नों पे जब तुम लिखते तब तेरे अल्फाज़ो से में सवर जाती,
काश! में तेरी डायरी या किताब होती.
हेमांगी-
3 OCT 2020 AT 22:53