28 MAR 2021 AT 17:05

काग़ज़ और क़लम.
काग़ज़ और क़लम जैसे है हम,
ऐक दूजे़ के साथ हो कर भी जूदा हम,
ऐक दूज़े के बिन है अधूरें हम,
ज़ब साथ होते है तब जादू चलाते है ये काग़ज़ और क़लम,
कुछ इस तरह हम भी खो जाते है एक दूजे में हम,
अलग अलग हो कर भी ऐक दूजे में समांये रहेते है हम.
हेमांगी

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