जिंदगी ठहर जा
बहुत दोडती है तु ऐ जिंदगी,
रूह, ठहर अपने होने का जो ऐहसास है उसका मजा ले,
बैठे!जरा सोच भी लिया कर,
तेरी ही दौड़ के चक्कर में बहौत से रिश्ते हाथों से फिसल रहे हैं,
उन्हें भी साथ में लेने दे,
तेरे होने का उत्सव मनाया कर,
ऐ जिंदगी तु कभी कभी ठहर जा कर.
हेमांगी-
2 APR 2020 AT 17:49