19 JAN 2023 AT 15:02

जब आखरी मुलाकात हो,
तब कुछ इस तरह की बात हो,
मैं चाहुं की वक्त की कोई चोरी करे,
तु चाहे फिर भी वो तुजे ना मिले,
लम्हों का दामन तुजसे लिपटकर रहे,
यादो की कस्ती से कभी तु ना उतर पाए,
चुराया हुआ वक्त कहीं और छीपादूं मैं,
तुजे अपनें आप में समालुं मैं,
तु चाह कर भी ना जा पाए,
वक्त के हाथो यहीं पर कैद हो जाए.
हेमांगी

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