घर मुझे पहचान ते हो!
मैं वों हीं आधा अधूरा खवाब हूं जो तुम्हें तुम्हारी वफा ओ के बदले विरानीयां दे के गयां था,
हर रात तेरी आगोश मैं सपनों कों पर दिऐ,
कुछ पूरे हुए और कुछ ने तो आधे राश्ते में ही दम छोड़ दिया,
ऐ घर मुझे पहचान ते हो.
हेमांगी-
26 MAR 2020 AT 11:57