एक शाम.
जैसे जैसे ये शाम ढलती है,
दिल के कोने में यादों की मिट्टी महकती है,
लब कुछ नहीं बोल पाते पर,
आंखे अक्सर नम हो जाती है,
दिल में यादों का सैलाब उठ़ जाता है,
वक़्त के पहिए को वापिस गुमाने की ख्वाहिश इस कदर बढ जाती है,
की सांस जेसे फूल सी जाती है,
दिल परींदा बनकर उड़ जाता है उन दिनों में,
जो कभी लौट़कर फिर कभी नहीं आने वाले,
कभी कभी ये दिल छ़टपटाता है,मायूस भी हो जाता है,
बिते वक्त को ना सिमट़ पाते है ना लम्हों के पिंजरों में कैद कर पाते है,
अक्सर शाम में वे दिन बेहद याद आते है,
ओर मन की मिट्टी को महका दे जाते है.
हेमांगी-
13 OCT 2020 AT 19:32