एक शाम.
एक शाम ऐसी हो,
तेरे आंगन में तुम शाम को रोक के रख्खो,
ना आफताब जा शके ना चांद ठहर शके,
तेरे हाथो में मेरा हाथ हो,
लब बंध हो फिर भी निगाहों से अनगिनत बातें हो,
तेरी उड़ती नर्म झूल्फो़ के साये में मेरे इश़्क की बरसात हो,
सब कुछ चल रहां हो पर जब तुम मेरे साथ हो तब वो लम्हां वक्त की कैद में कैद हो,
शाम ना जा सके और रात की बैचेनी कुछ खास हो,
बिन कुछ पीये बिना भी मेरे इश़्क का नशा तुज पें कुछ इस कद्द हो,
अलग हे कर भी हम दों जिस्म ऐक जान हो.
हेमांगी-
19 SEP 2020 AT 22:14