23 OCT 2020 AT 8:28

दो घड़ी के लिए.
दो घड़ी के लिए भूल जाओ उन बातों को जो तुम्हें जीने नहीं देती,
बेवजह टोकती है रोकती है,
खूश होने मे बाधाएं लांधती है,
वक्त का पहियां ना रुका है ना रुकेगा,
ये रेत सा हाथों से फिसलता ही रहेगा,
दो घड़ी के लिए अपनों से भी मिल लिया करों,
सुकून दे जाऐ वो इश्क़ ढूंढ लो,
ओरों से ना सही खूद से इश्क़ कर लो.
दो घड़ी जिंदगी जी लीया करो.
हेमांगी

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