धाव तो फिर भी भर जाते है जनाब,लगाव का क्या कीजे!ना ये भरता हे ना ही उभरने देता है.हेमांगी -
धाव तो फिर भी भर जाते है जनाब,लगाव का क्या कीजे!ना ये भरता हे ना ही उभरने देता है.हेमांगी
-