21 MAY 2021 AT 8:43

डर इस बात का नहीं.
डर इस बात का नहीं की मेरे आंगन में अब तेरे इश़्क का आफताब ना होगा,
मेरी हर शाम तेरे इन्तजार में अब आँख बिछाये थक जायेगी,
मेरी रात ,मेरा चाँद अब ना मेरी छत पर निकलेगा,
इस बात का ना डर पहेले था ,ना अब है,
बस ये बोज़ सहा नहीं जाता की हमारें
रिश्तें को कभी तुमनें समजा ही नहीं,
तुम्नें कभी उस रिश्तें को अपनां समजा ही नहीं.
हेमांगी

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