चाँद की उम्र.
ऐक चाँद मेरे पास था और ऐक आंसमा में,
वक्त के साथ वो चँद मेरा ढलनें लगा,
पर उस के इश़्क की महेंदी का रंग चाँद की उम्र सा है,
ना वो कभी कम होगा ना ही ढ़लेगा,
मै रोज़ उसे कतरा कतरा पीती हूं,
वो मुझमें कहीं गुम है और मैं उस के इश़्क में चूर.
हेमांगी-
23 MAR 2021 AT 22:59