चांद का इशारा.
बादलों की आज चांद से हो रही है मस्ती,
खेल रहे है संग संग लुकाछिपी,
मेरी खिडक़ी मैं आके ये चांद कुछ कह रहा है,
मानों ये जेसे तुम्हीं को जेसे ढूंढ रहा है,
चांद का इशारा है चांदनी से,
आ चलो ऐक हो जाऐ आसानी से,
यादों का तकिया बनाके करवटें बदलते हैं,
इश्क की चद्दर पे अकेलेपन की सिलवटें है,
कोई इश्क की चांदनी मैं सोता है,
तो कोइ अकेलेपन के साये में,
ये चांद का इशारा है अपनी चांदनी के लिए.
हेमांगी-
22 JUN 2020 AT 21:32