अल्फाज़ बहूत बोलें अब खामोशि को बोलनें देतें है,
यकीनन जो काम अल्फाज़ न कर पाऐ कभी कभी वो काम खामोशियां कर देती है.
हेमांगी-
17 MAR 2021 AT 10:44
अल्फाज़ बहूत बोलें अब खामोशि को बोलनें देतें है,
यकीनन जो काम अल्फाज़ न कर पाऐ कभी कभी वो काम खामोशियां कर देती है.
हेमांगी-