अकसर हम ये सोचते है की हम एक ही इंन्सान है,
या हम स्वयंम एक ही व्यक्ति है,
पर दरसल में हमारे भीतर एक और व्यक्ति भी हरदम बस्ती रहेती है,
जब हम किसीको एक हद से ज्यादा चाहने लगते है तब हमारे भीतर वो व्यक्ति बस जाती है,
और उसका प्रभाव इतनां भारी होता है की आप के भीतर वो बहोत ज्यादा तबाही मचा देता है.
हेमांगी-
18 JAN 2023 AT 23:35